पटना, 6 जुलाई 2025: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के ‘भगवा-ए-हिंद’ वाले बयान ने सियासी और सामाजिक तूफान खड़ा कर दिया है। कांग्रेस नेता उदित राज ने शास्त्री पर तीखा हमला बोलते हुए उन्हें ‘पाखंडी’ करार दिया और बीजेपी के लिए प्रचार करने का आरोप लगाया। यह विवाद तब शुरू हुआ जब शास्त्री ने पटना के गांधी मैदान में आयोजित सनातन महाकुंभ में कहा, “कुछ ताकतें गजवा-ए-हिंद चाहती हैं, लेकिन मेरा सपना भगवा-ए-हिंद है।”

उदित राज का तीखा पलटवार: ‘बटवा-ए-हिंद बनाया, अब भगवा की बात?’
उदित राज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर शास्त्री के बयान की कड़ी आलोचना की। उन्होंने लिखा, “धीरेंद्र शास्त्री ने समाज को हजारों जातियों में बांटकर ‘बटवा-ए-हिंद’ बनाया। खुद को सबसे ऊंची जाति मानकर दूसरों को नीच-अछूत ठहराते हैं। अब भगवा-ए-हिंद की बात करते हैं? अगर हिंदू एकता चाहते हो तो 5-10 लाख लोगों के बीच अंतर्जातीय विवाह का अभियान शुरू करो।” उदित राज ने यह भी आरोप लगाया कि शास्त्री बीजेपी को जिताने के लिए पाखंड कर रहे हैं और चेतावनी दी कि ऐसी हरकतों से ‘गजवा-ए-हिंद’ को बढ़ावा मिलेगा।
शास्त्री का जवाब: ‘हम किसी धर्म के विरोधी नहीं’
सनातन महाकुंभ में धीरेंद्र शास्त्री ने अपने संबोधन में कहा, “हम किसी धर्म के विरोधी नहीं हैं। मैं हिंदू हूं और हिंदुत्व की बात करूंगा। अगर मेरे धर्म पर हमला हुआ तो मैं प्रतिघात करूंगा।” उन्होंने बिहार की जनता को संबोधित करते हुए कहा, “हिंदुओं को जातिवाद में बांटने की साजिश हो रही है। बिहार के पागलों, गांठ बांध लो, हम सब हिंदू एक हैं।” शास्त्री ने यह भी ऐलान किया कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद वह सनातन को जोड़ने के लिए पूरे राज्य में पदयात्रा करेंगे।
विवाद की जड़: भगवा-ए-हिंद बनाम गजवा-ए-हिंद
शास्त्री के ‘भगवा-ए-हिंद’ बयान ने ‘गजवा-ए-हिंद’ की अवधारणा को लेकर बहस छेड़ दी है। गजवा-ए-हिंद का तात्पर्य भारत में इस्लाम का विस्तार करने के लिए युद्ध से जोड़ा जाता है, जिसे कुछ कट्टरपंथी विचारधाराएं प्रचारित करती हैं। शास्त्री ने इसकी तुलना में ‘भगवा-ए-हिंद’ को सनातन धर्म और हिंदू एकता के प्रतीक के रूप में पेश किया। हालांकि, उदित राज ने इसे जातिगत विभाजन को बढ़ावा देने वाली रणनीति करार दिया और कहा कि शास्त्री की सोच में केवल सवर्ण जातियां ही हिंदू राष्ट्र का हिस्सा हैं।
सियासी रंग: बीजेपी पर निशाना
उदित राज ने शास्त्री पर बीजेपी के लिए प्रचार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “शास्त्री का हिंदू राष्ट्र का नारा बीजेपी की राजनीति को मजबूत करने की साजिश है। दलितों-पिछड़ों के साथ भेदभाव करने वाले हिंदू एकता की बात कैसे कर सकते हैं?” दूसरी ओर, शास्त्री ने स्पष्ट किया कि वह किसी एक पार्टी के लिए नहीं, बल्कि हर उस पार्टी के साथ हैं जिसमें हिंदू हैं।
सामाजिक तनाव और एकता की चुनौती
यह विवाद सामाजिक एकता के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। शास्त्री के समर्थकों का कहना है कि वह हिंदू एकता और सनातन धर्म के प्रचार के लिए काम कर रहे हैं, जबकि आलोचक उन्हें जातिवाद और धार्मिक उन्माद फैलाने का जिम्मेदार ठहराते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार जैसे संवेदनSHील राज्य में इस तरह के बयान विधानसभा चुनाव से पहले सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा सकते हैं।
शास्त्री ने बिहार में अपनी पदयात्रा की घोषणा की है, जिसका मकसद सनातन धर्म को मजबूत करना बताया जा रहा है। वहीं, उदित राज ने चेतावनी दी है कि अगर शास्त्री अपनी ‘पाखंडी’ हरकतें नहीं सुधारते, तो सामाजिक विभाजन और गहरा होगा। इस विवाद ने एक बार फिर धर्म, जाति और राजनीति के गठजोड़ पर बहस को हवा दी है, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
रिपोर्ट :सुरेंद्र कुमार
